मां बाप की इज्जत को बचाया होगा उसने बेटी होने का फर्ज निभाया होगा
प्रेमिका की शादी कहीं और हो जाती है तब प्रेमी कहता है...
आज दुल्हन के लाल जोङे में उसकी सहेलियों ने सजाया होगा
मेरी जान के गोरे हाथों पर सखियों ने मेहंदी को लगाया होगा
बहुत गहरा चढेगा मेहंदी का रंगा उस मेहंदी में उसने मेरा नाम छुपाया होगा
रह रहकर रो पङेगी जब भी उसे मेरा ख्याल आया होगा
खुद को देखेगी जब आइने में तो अक्श उसको मेरा भी नजर आया होगा
लग रही होगी एक सुंदर सी बाला चांद भी उसे देखकर शर्माया होगा
आज मेरी जान ने अपने मां बाप की इज्जत को बचाया होगा उसने बेटी होने का फर्ज निभाया होगा
मजबूर होगी वो बहुत ज्यादा सोचता हुं कैसै खुद को समझाया होगा
अपने हाथों से उसने हमारे प्रेम खतों को जलाया होगा
खुद को मजबूर बनाकर उसने दिल से मेरी यादों को मिटाया होगा
भूखी होगी वो मैं जानता हुं पगली ने कुछ ना मेरे बगैर खाया होगा
कैसे संभाला होगा खुद को जब फैरों के लिए उसे बुलाया होगा
कांपता होगा जिस्म उसका जब पंडित ने हाथ उसका किसी और के हाथ में पकङाया होगा
रो रोकर बुरा हाल हो जाएगा उसका जब वक्त विदाई का आया होगा
रो पङेगी आत्मा भी दिल भी चीखा चिल्लाया होगा
आज उसने अपने मां बाप की इज्जत के लिए उसने अपनी खुशियों का गला दबाया होगा
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